इंकलाब / Inqilab

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बैरकपुर, टीटागढ़
और जलता कमरहट्टी
चाहत सबको टिकट की,
सब पकड़े हैं लाठी ।
कटमनी है सोने की खान,
पाकेट फिलिंग सोर्स
पाँच साल में करोड़पति,
मृतक भी दें वोट।
चल जमूरे
खेल दिखा दे,
मच गया है शोर,
भर गए हैं देश में अब
इंसानियत के चोर।
एक मंच पर आ बैठे हैं
सरकार और व्यापारी,
जीना मुश्किल हो जाए
जब न मिले मजदूरी।
बढ़ रही बेरोजगारी,
बढ़ रही लाचारी,
बंद हों तमाशे अब,
खत्म हो जी हुजूरी।
सपनों का एक भोर लाएगा,
उम्मीद भरा यह गीत,
जागेगा यह चमन,
होगी इंकलाब की जीत।
Anirban Chakraborty
आप सबको मेरी शुभकामनायें